इंदौर
बहू तो लक्ष्मी का रूप होती है। जब लक्ष्मी खुद ही घर आ रही तो उसके परिवार से लेन-देन कैसा? इसी सोच को आत्मसात कर शहर के फतेहचंदानी परिवार ने अब तक किसी भी शादी में दहेज नहीं लिया। 42 साल में परिवार में छह शादियां हो चुकी हैं। हर शादी से पहले सगाई में सिर्फ पांच किलो मिश्री और 11 नारियल को ही परिवार दहेज मानता है।
निजी स्कूल के संचालक अनिल फतेहचंदानी बताते हैं चार भाई और तीन बहनों का परिवार है। पिता जेठानंद अगरबत्ती की फैक्टरी चलाते हैं। 1978 में सबसे बड़े भाई किशोर कुमार की शादी हुई। पिता ने भाई के ससुराल वालों से कहा हम दहेज में कुछ नहीं लेंगे। दहेज विरोधी हमारे फैसले से प्रेरित होकर समाज के कई परिवारों ने दहेज नहीं लेने का निश्चय किया है।
पांच किलो मिश्री और 11 नारियल हमारा दहेज
अनिल बताते हैं कि भाई इंद्रकुमार (1981), मेरी स्वयं की (1993), छोटे भाई आनंद (1997), भतीजे हरीश (2003) और दूसरे भतीजे धीरज (2014) की शादी में भी दहेज नहीं लिया। बहू को जो भी ज्वेलरी चढ़ती है, वह हमारा परिवार ही चढ़ाता है। सगाई में पांच किलो मिश्री और 11 नारियल ही हमारा दहेज है। शादी की पत्रिका में मेहमानों से आग्रह किया जाता है कि वे उपहार न लाएं। हमारा 21 सदस्यों का पूरा परिवार एक साथ रहता है। एक साथ खाना बनता है। अनिल बताते हैं पिता से प्रेरित होकर सागर में रहने वाले साले राजकुमार लहरवानी ने अपने बेटे आशीष की शादी (2019) में दहेज नहीं लिया।